कोरोना संक्रमण से जूझ रहे दुनियाभर के देश धीरे-धीरे लॉकडाउन में राहत देने के कदम उठा रहे हैं। लेकिन, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े विशेषज्ञ इसको लेकर काफी चिंतित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि कोरोना का टीका बनने तक लॉकडाउन में राहत को सुरक्षित बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा जांच करनी होगी ताकि संक्रमितों का पता लगाकर उन्हें पृथक किया जा सके।
डब्ल्यूएचओ की प्रवक्ता डॉ. मारग्रेट हैरिस के मुताबिक, देशों को संक्रमण का पता लगाने और संक्रमितों को स्वस्थ लोगों से अलग करने की जरूरत है। इसका एक मात्र तरीका जांच ही है। अगर ऐसा नहीं होता है तो लॉकडाउन खोलने का कोई फायदा नहीं होगा।
भारत में रोज डेढ़ लाख टेस्ट की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन में कई राहत देने के साथ ही भारत में संक्रमण भी बढ़ रहा है। रविवार को एक दिन में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए। ऐसे में जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है, उसे देखते हुए देश में जांच भी बढ़ाने की जरूरत है। आईसीएमआर के मुताबिक अब तक देश में मात्र 6,25309 टेस्ट हुए हैं।
अमेरिका के मैरीलैंड विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों के प्रमुख फहीम यूनुस का कहना है कि संक्रमण पर काबू पाने के लिए भारत को एक महीने तक रोज कम से कम डेढ़ लख टेस्ट करने की जरूरत है।