कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन चरण 1,2,3 के बाद चौथे चरण की शुरुआत के साथ पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करीब दो महीने बाद फिर बिजली बिलों का वितरण शुरू करने जा रही है। साथ ही उपभोक्ताओं क्षेत्रों मे विशेष वाहनों के जरिए जाकर बिजली बिल भुगतान के लिए भी योजना बना रही है। यह योजना इंदौर में शुरू किये जाने के लिए प्रशासन से अनुमति की मंजूरी मांगी गई है। उज्जैन व अन्य शहरों में भी योजना लागू की जाना है ।
उपभोक्ताओं से कंपनी ने बिल कलेक्शन को लेकर भी नई व्यवस्था शुरू करने के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी है। कंपनी ने बिल भुगतान के लिए खास गाड़ियां चलाने की योजना बनाई है। ये गाड़ियां मोहल्ले-कॉलोनियों में पहुंचेगी। जहां उपभोक्ता नकद या ऑनलाइन भुगतान कर सकेंगे। कंपनी ने वाहनों का विवरण देते हुए प्रशासन की अनुमति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। राजस्व वसूली में पिछड़ने के बाद कंपनी के लिए बिल का भुगतान अर्जित करना अब जरूरी हो गया है।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही कंपनी ने बिलों का वितरण रोक दिया था। मार्च के बाद से अब तक बिजली कंपनी ने बिलों का वितरण नहीं किया है। इस दौरान घरेलू और व्यावसायिक दोनों तरह के उपभोक्ताओं को मोबाइल पर एसएमएस या ऑनलाइन तरीके से ही बिल उपलब्ध कराए जा रहे थे। इन दो महीनों के दौरान उपभोक्ताओं के मीटरों की रीडिंग भी नहीं हो सकी है।
बिजली कंपनी ने अब बिलों का वितरण फिर शुरू करने का मन बनाया है। इंदौर शहर के ऐसे क्षेत्र जो कोरोना कंटेंनमेंट एरिया घोषित नहीं है, उन्हीं क्षेत्रों में बिलों का वितरण शुरू होगा। इसके बाद मीटरों की रीडिंग होगी।
कोरोना इफैक्ट : बिजली के दाम बढ़ाने की डिजिटल सुनवाई करेगा आयोग
कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन के चलते माह अप्रैल से की जाने वाली बिजली दरों में बढ़ोतरी का मामला भी अटका हुआ है । विदित हैकि बिजली कंपनी करीब पांच फीसद बिजली के दाम में इजाफा करना चाह रही है। इसके लिए बिजली कंपनी ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बिजली की दरों में इजाफे का प्रस्ताव दिया था।
कंपनी द्वारा सालाना करीब दो हजार करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान का आकलन किया गया है। मप्र विद्युत नियामक आयोग को याचिका दी गई थी। इसके लिए आयोग की तरफ से जनता से आपत्तियां मांगी गई थीं। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से करीब 22 आपत्तियां लगी हुई थीं। इधर, इंदौर में तकरीबन 38 आपत्तियां आईं।
इंदौर में पहले 17 मार्च, भोपाल में 23 मार्च और जबलपुर में 27 मार्च को जनसुनवाई आयोजित थी। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए जनसुनवाई निरस्त कर दी। हर साल एक अप्रैल से नई बिजली दर लागू होती है लेकिन इस बार जनसुनवाई नहीं होने की वजह से अभी तक ये प्रक्रिया नहीं हो पाई।
अब डिजिटल जनसुनवाई के जरिये बिजली के दाम पर निर्णय लिया जाएगा। सिर्फ ऑनलाइन ही आपत्ति दर्ज होगी। इसकी डिजिटल सुनवाई मप्र विद्युत नियामक आयोग करेगा। 30 मई तक आपत्ति भेजी जा सकती है।
पूर्व में बिजली दरों को लेकर आपत्ति दर्ज करवाने वाले एडवोकेट राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि बिजली दाम बढ़ाने की बजाए सरकार को फिजूल के बिजली खरीदी करार निरस्त करने चाहिए। इसी के माध्यम से करीब पांच हजार करोड़ रुपये की बचत की जा सकती है।