भारत में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के डिस्चार्ज (Discharge ) के नियमों में बदलाव किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी नई गाइड लाइन (New Guide Line) के मुताबिक अब गंभीर मामलों में ही कोरोना संक्रमित मरीजों की कई बार जांच की जाएगी. इसके साथ ही जो मरीज ठीक हो चुके हैं उनकी जांच अब केवल एक बार ही की जाएगी. उस जांच में अगर टेस्ट निगेटिव आया तो मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.
ऐसे मरीज जिनमें बहुत हल्के (वेरी माइल्ड), हल्के (माइल्ड) या फिर संक्रमण से पहले के लक्षण (प्री-सिम्पटमिक) हैं, उन्हें कोविड केयर फैसिलिटी में भर्ती किया जाएगा। उनके शरीर के तापमान और ऑक्सीजन के स्तर की नियमित जांच होगी।
ऐसे मरीजों को 10 दिन बाद छुट्टी दी जा सकती है। लेकिन मरीज को तीन दिन बुखार नहीं आया हो। डिस्चार्ज से पहले कोरोना टेस्ट जरूरी नहीं होगा लेकिन, घर जाने के बाद 7 दिन आइसोलेशन में रहना पड़ेगा।
मॉडरेट केस ऑक्सीजन बेड वाले सेंटर में भर्ती किए जाएंगे
कोरोना के औसत लक्षणों (मॉडरेट) वाले मरीज ऑक्सीजन बेड वाले डेडिकेटेट कोविड हेल्थ सेंटर में भर्ती किए जाएंगे। बॉडी टेम्परेचर और ऑक्सीजन की नियमित जांच होगी। अगर बुखार 3 दिन में उतर जाता है और मरीज का अगले 4 दिन तक ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल 95% से ज्यादा रहता है तो 10 दिन बाद छुट्टी दी जा सकती है। लेकिन, सांस लेने में दिक्कत और ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होनी चाहिए। मॉडरेट केस में भी डिस्चार्ज से पहले टेस्ट की जरूरत नहीं होगी।
ऐसे मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं और तीन दिन में बुखार नहीं उतरता, उन्हें बीमारी के लक्षण पूरी तरह खत्म होने पर ही छुट्टी दी जाएगी। लेकिन, लगातार तीन दिन ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल मेंटेन होना चाहिए।
गंभीर मरीजों को छुट्टी कब मिल सकेगी?
इन मरीजों को पूरी तरह रिकवर होने के बाद ही छुट्टी मिलेगी। डिस्चार्ज से पहले कोरोना टेस्ट भी होगा। उसकी रिपोर्ट निगेटिव आनी चाहिए। गंभीर मामलों में कोरोना के वे मरीज शामिल होंगे जिनमें पहले से किसी गंभीर बीमारी की वजह से इम्युनिटी की कमी है। जैसे- एचआईवी पेशेंट, ऑर्गन ट्रांसप्लांट वाले या किसी और गंभीर बीमारी वाले मरीज।