देश मे कोरोना लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को उनके राज्य पहुंचाने के लिए चलाई जा रही ट्रेनों के मामले पर अब भारतीय रेलवे ने कहा है कि वह प्रवासी मजदूरों को कोई टिकट नहीं बेच रहा है। रेल मंत्रालय ने साफ किया है कि मजदूरों के टिकट के लिए सिर्फ 15 फीसदी रुपए ही लिए जा रहे हैं, वह भी राज्य सरकार भुगतान करेंगी। मजदूरों को कोई पैसा नही देना है।
वहीं, कम से कम दो राज्यों ने (बिहार और मध्य प्रदेश) अपने नागरिकों के लिए उनकी टिकट की कीमत रेलवे को देने का फैसला किया है। अधिकारियों ने कहा कि 15% किराया वसूलने का निर्णय इसलिए भी लिया गया ताकि राज्य सरकारें प्रवासियों की प्रोत्साहन यात्रा को समाप्त न करें।
रेलवे मंत्रालय के सूत्रों ने आगे कहा कि भारतीय रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही हैं। इनमें सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। श्रमिकों को उनके गंतव्य तक छोड़कर वापस खाली आ रही हैं। वहीं, वापसी के दौरान ट्रेनों को पूरी तरह से बंद रखा जाता है। रेलवे ने आगे बताया कि रेलवे की ओर से मजदूरों को मुफ्त में खाना और पानी की बोतल दी जा रही है।
इससे पहले मुंबई में फंसे यूपी के मजदूरों को लेकर दूसरी ट्रेन सोमवार सुबह लखनऊ पहुंची। इन कामगार मजदूरों को घर तक पहुंचने के लिए सरकार की ओर से नि: शुल्क बसों की सुविधा मुहैया कराई गई। नागपुर से आई ट्रेन में 977 यात्री आए।
इसी तरह कोटा में फंसे झारखंड के छात्र-छात्राओं को लेकर स्पेशल ट्रेन रविवार की शाम करीब चार बजे धनबाद स्टेशन पहुंची थी। ट्रेन से धनबाद, बोकारो व गिरिडीह सहित 10 जिलों के 954 छात्र-छात्राएं व उनके परिजन धनबाद आए थे। स्टेशन पर यात्रियों की स्वास्थ्य जांच के बाद उन्हें बसों से उनके घर भेजा गया।
वहीं, श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर करने के किराए में स्लीपर क्लास के टिकट मूल्य, 30 रुपये का सुपरफास्ट शुल्क और 20 रुपये भोजन-पानी के शामिल होंगे। रेलवे ने स्पष्ट किया है कि यात्रियों को अपने पास से कुछ भी खरीदने की जरूरत नहीं, उनके खर्च का वहन राज्य सरकारें करेंगी।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार सुबह केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा था कि इस संकट की घड़ी में भी सरकार श्रमिकों से रेल टिकट की कीमत वसूल रही है। इस मामले पर बीजेपी के एक नेता ने कहा कि प्रवासियों की मदद करने के बजाए कांग्रेस अपने आप को पुनर्जीवित करने के लिए एक कोशिश कर रही है।