हाईकोर्ट ई - फाइलिंग सिस्टम आम आदमी के साथ अधिकतर वकील भी परेशान, और मप्र स्टेट बार कॉंसिल चुनाव की दूसरी वरियता गिनती जुलाई में

  • हाईकोर्ट ई- फाईलिंग सिस्टम की जटिलता से आम आदमी के साथ वकील भी परेशान

  • सिस्टम में सुधार के लिए चीफ जस्टिस को भेजा सोशल मीडिया से पत्र


इंदौर ।


कोरोना संक्रमण काल में हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए शुरू किए गई ई-फाइलिंग सिस्टम की जटिलता आम आदमी के साथ साथ अधिकतर अभिभाषकों के लिए भी परेशानी बनी हुई है। सिस्टम में आम आदमी ना तो खुद याचिका लगा पा रहा है, और  अपनी पैरवी भी नहीं कर पा रहा है। इस सिस्टम में केवल वकील ही याचिका दायर कर पा रहे हैं। इसमें काफी संख्या में वकीलों को सिस्टम समझ नहीं आ रहा है। 


अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के मुताबिक इस सिस्टम में सामान्य व्यक्ति, सरकारी अफसर खुद जवाब बनाकर पेश नहीं कर पा रहे, याचिका दायर नहीं कर पा रहे। इस सिस्टम में सुधार लाने के लिए चीफ जस्टिस को सोशल मीडिया के माध्यम से पत्र भेजा है। हर काम के लिए वकील की ईमेल आईडी मांगी जा रही है।


किसी मामले में सरकारी अधिकारी खुद जवाब बनाकर पेश करना चाहे तो यह भी नहीं हो पा रहा है। बगैर वकील के कोई व्यक्ति अर्जी लगाना चाहे तो यह संभव नहीं हो पा रहा है। इस सिस्टम को और सरल किए जाने की आवश्यकता है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सभाकक्ष में ऑनलाइन अर्जी स्वीकार किए जाने की व्यवस्था की जाना चाहिए।


मप्र बार काउंसिल चुनाव की दूसरी वरीयता की गिनती जुलाई में सभंव


मध्यप्रदेश स्टेट बार काउंसिल चुनाव की दूसरी वरीयता की गणना कोरोना के चलते फिलहाल नहीं होने जा रही। अब इसके जुलाई में शुरू किए जाने की संभावना हैं। उल्लेखनीय है कि सोशल डिस्टेंस, कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते मार्च में ही रोक दिया गया था। पहली वरीयता के वोट की गिनती लगभग पूरी हो चुकी थी। दूसरी वरीयता के मतों की गणना शुरू की जाना थी। कोरोना के मामले फैलने और लाॅकडाउन हो जाने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।