भोपाल। मध्य प्रदेश के कथित न्याय प्रिय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और उनके योग्य सचिवों ने कोरोना ड्यूटी में लगाई गई शासकीय कर्मचारियों (जिन्हें सरकार ने कोरोना योद्धा नाम दिया है) के लिए बड़ी अजीब सी योजना बनाई है। इस योजना के तहत कर्मचारी की मौत हो जाने पर उसके परिजनों को ₹5000000 मिलेंगे परंतु यदि परिवार की दुआओं से वह बच गया तो इलाज का खर्चा भी उसे खुद उठाना पड़ेगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोनावायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए विशेष ड्यूटी पर तैनात किए गए शासकीय कर्मचारियों को 5000000 रुपए का बीमा कवर दिया है। यानी यदि ड्यूटी के दौरान कोई कर्मचारी कोरोनावायरस से पीड़ित हो जाए और उसकी मृत्यु हो जाती है तो कर्मचारी के परिवार को ₹5000000 दिया जाएगा परंतु यदि कर्मचारी स्वस्थ हो जाता है तो दवाओं और अस्पताल का खर्चा कौन देगा, योजना में स्पष्ट नहीं किया गया। इतना ही नहीं इलाज के दौरान जब वह अस्पताल में भर्ती होगा तो उसे ऑन ड्यूटी माना जाएगा या इलाज के 15 दिन उस की छुट्टियों में से काट दिए जाएंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा था खर्चा शासन वहन करेगा
डॉक्टरों और कोरोना योद्धाओं के निजी अस्पताल में इलाज का मुद्दा हाल ही में एसीएस (अतिरिक्त मुख्य सचिव) के सामने भी उठ चुका है। बैठक में शामिल डॉक्टरों के मुताबिक एसीएस ने कहा था कि कोरोना योद्धा चाहें तो अरबिंदो या एमटीएच अस्पताल में प्राइवेट रूम लेकर इलाज करवा सकते हैं। इलाज का खर्च शासन वहन करेगा, लेकिन इस संबंध में अब तक स्पष्ट आदेश जारी नहीं हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा था: सबका इलाज आयुष्मान योजना के तहत होगा
कोरोनावायरस के संक्रमण की शुरुआत में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत का कोई भी नागरिक चाहे वह आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत हो या ना हो, यदि कोरोनावायरस के इंफेक्शन का शिकार होता है तो उसका इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया जाएगा। इस घोषणा के बाद भी कोई आदेश जारी नहीं हुआ। लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में 1-5 लाख रुपए तक के बिल भुगतान करने पड़ रहे हैं।